वर्ष 2020… इतिहास में ये साल कोई मनुष्य कभी नहीं याद करना चाहेगा या बल्कि कहें की अपने दिमाग से भुला देना चाहेगा। इस साल न केवल हिन्दुस्तान बल्कि पूरी दुनिया की रफ़्तार थम गई ।
देश में रेल बंद, फ्लाइट बंद, दुकानें बंद, घर के बाहर काम पर जाना बंद, निर्माण का काम बंद, घरों में काम करने वाली दीदियों का काम बंद, जहा नज़र घुमा कर देखें सब बंद – सभी घरों में कैद, अगर कोई घर से बाहर निकला मतलब खतरे की घंटी बजना।
अगर भारत में असंगठित वर्ग को देखें तो एक बड़ा वर्ग तरह-तरह की गतिविधियों से जुड़ा है, जैसे: घर बनाने वाले मजदूर, मिस्त्री, घर पर काम करने वाली दीदी, मोची, कारपेंटर, प्लम्बर, बिजली का काम करने वाले, स्वीपर आदि। यह एक ऐसी लिस्ट हैं जो कभी ख़त्म नहीं होगी । कोरोना की मार से सबसे ज्यादा पीड़ित यही वर्ग है। इनकी न ही कोई तय आय है और न ही इनकी सामाजिक सुरक्षा( social security) की रक्षा का कोई जिम्मेदार है । ऐसे में जिधर देखे उधर सन्नाटा, मज़दूरों के चेहरों पर बेबसी और लाचारी, महिलाओं पर घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी, बच्चों की आँखों में दूध( और खाना) मिलने की आस।
कोरोना महामारी के दौरान देश भर में सरकार ने लॉक डाउन करने का निर्णय लिया और परिणाम स्वरुप लाखों लोगों का रोज़गार खत्म हो गया और साथ ही साथ परिवार का भविष्य भी अंधकार में चला गया।
इस विकट परिस्तिथि में सरकार को सहायता देने के साथ साथ बहुत सारे गैर सरकारी संगठन (NGOs/ CSOs) अपने-अपने क्षेत्र में जरुरत और विशेषज्ञता के अनुसार लोगों की सहायता कर रहे हैं। इसी कड़ी में इंडस एक्शन संस्था से जुडी एक कम्युनिटी चैंपियन मीनू – जिन्हें सभी ज्यादातर दीदी कहकर बुलाते हैं- अपने क्षेत्र में वो किया शायद जिसके बारे में उन्होंने भी पहले कभी नहीं सोचा था। 60 दिनों में उन्होंने घर पर रहते हुए 900 से भी ज्यादा परिवारों तक राशन एवं दवाइयाँ पहुँचाई और अभी भी वो निरंतर कोशिश कर रही हैं।
आइये एक नज़र डालते हैं मीनू दीदी के सफ़र पर
इंडस एक्शन ने मार्च में रैपिड रिस्पांस कैम्पेन की शुरुआत की जो न केवल दिल्ली बल्कि अन्य राज्य जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ आदि के परिवारों को भी एक साथ जोड़ा और उनकी भी मदद करने की कोशिश की गई। कॉलिंग का मुख्य उद्देश्य था लोगों को जरुरी सेवायें मुहैय्या करवाना।
हमारी पूरी टीम कॉलिंग से जुड़ी और मीनू का भी दिल्ली में कॉलिंग का सिलसिला शुरू हुआ। कॉलिंग के दौरान जो एक समस्या सबसे जटिल और दुख की थी वह थी राशन की कमी। परिवारों के पास रोज़गार का साधन ख़त्म हो गया था, उधार पर राशन की व्यवस्था हो नहीं पा रही थी, बच्चे के लिए घरो में पीने के लिए दूध नहीं था, बुजुर्गों की दवाइयाँ नहीं मिल रही थी और सबसे महत्वपूर्ण सवाल की हमारा भविष्य का क्या होगा, और मुसीबतों की लिस्ट बहुत लंबी थी।
शुरुआत में मीनू दीदी ने सरकार के द्वारा दी गयी हेल्पलाइन, स्कूलों में मिलने वाले खाने और राशन कार्ड के लिए आवेदन की प्रक्रिया बताई।
उन्होंने हंगर हेल्पलाइन के द्वारा भी लोगों की मदद करने की कोशिश की परन्तु कभी मदद मिली तो कभी निराशा हाथ लगी।
30 मार्च की बात है : एक फ़ोन आया और एक महिला ने बताया की उसके पास राशन की कोई व्यवस्था नहीं है और उसका पति भी इस दुनिया में नहीं है, और उसके बच्चे भी दिल्ली के बाहर रहते है। वो मजदूरी कर के अपना घर चलाती हैं, और अभी काम न होने की वजह से उनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है। उन्होंने हेल्पलाइन पर कॉल किया पर बात नहीं हो पाई , मदद की बहुत ही ज्यादा जरूरत थी। फिर उन्होंने अपने बेटे के दोस्त जो की उसी इलाके में रहता था उसके द्वारा महिला को 1000 रुपये पेटीएम् (paytm) के द्वारा सिलिंडर और राशन दिलवाया । ये पहली बार था जब उन्होंने कहीं और से मदद न मिल पाने पर खुद से मदद करने की कोशिश की।
इसके बाद उन्होंने खुद से बहुत सारी संस्थाओं के साथ जुड़ने का प्रयास किया और उन्हें मदद भी मिली। सरकारी संस्थाएं जैसे की दिल्ली कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स(DCPCR) एवं गैर सरकारी संगठन जैसे की गूँज, पहल, पैगाम, रेस्क्यू फ़ाउंडेशन आदि से उन्हें खूब सहयोग मिला।
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान बहुत बार ऐसा हुआ की उन्हें लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा, लोगों ने बहुत बुरा-भला भी बोला और मुँह पर फ़ोन भी काट दिया। लेकिन दीदी ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी कोशिश जारी रखी। अगर उनसे पूछें तो बड़ी सरलता से मुस्कुराते हुए बताती हैं कि क्या होता था जब कोई चिल्लाता था या गुस्सा करता था।
दीदी ने उम्मीद के साथ बताया: “मुझे बुरा नहीं लगता और अगर जरूरत हुई तो मैं फिर से मदद मांगूंगी और तब तक कोशिश करती रहूँगी जब तक मदद नहीं मिल जाती”। उनकी इसी कोशिश का ही परिणाम रहा कि जैसे जैसे लोगों को उनके बारे में पता चलता गया, लोग उनसे जुड़ते गए।
उन्होंने दो बार किरारी के विधान सभा के सदस्य (MLA) से बात कर के भी मदद मांगने की कोशिश की मगर उन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं मिल पायी। उन्होंने नांगलोई के विधान सभा के सदस्य (MLA) से भी मदद मांगने की कोशिश की पर उन्होंने भी यही कहा कि स्कूल में सरकार की और से खाना दिया जा रहा हैं, वही से परिवार सेवाएं लें, उन्होंने अन्य कोई मदद करने से इंकार कर दिया।
लोगों का भरोसा इतना बढ़ गया था कि उन्हें लगता था की अगर हम कोई भी मुसीबत में हैं तो हमें दीदी से मदद जरूर मिलेगी और तभी तो एक दिन सुबह कॉल आया कि एक गर्भवती महिला जिसको प्रसव का दर्द हो रहा है और उनका क्षेत्र सील है तो उन्हें न डॉक्टर और एम्बुलेंस की मदद मिल रही है और न ही उनके घर में कोई पुरुष सदस्य थे। दीदी ने वहां आशा कार्यकर्ता को भेजा तो उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल ले जाने की जरूरत है। फिर उस महिला के लिए PCR VAN बुलाया और बाबा साहब हॉस्पिटल पहुँचाया गया।
दो दिन बाद उनके पास फ़ोन आया की “उनकी बेटी को बेटा हुआ है” और बच्चा और माँ दोनों ही स्वस्थ थे। उस महिला ने दिल से दीदी का शुक्रिया अदा किया।
आज लगभग दो महीने और 900 से ज्यादा परिवारों की मदद करने के बाद दीदी का मानना है कि हम सभी की “सामाजिक ज़िम्मेदारी” होती है, जिसे हम सबको निभाना चाहिए।
मीनू दीदी से एक दिन जब मैंने पूछा की आपको इस तरह से लोगो के लिए काम कर के कैसा लगता तो उन्होंने बताया की उन्हें इस बात कि ख़ुशी है की वो इन “छोटे-छोटे प्रयासों” से जरूरतमंदों की सहायता कर पा रही हैं I साथ ही साथ वो भगवान का शुक्रिया करती हैं की उन्हें इंडस एक्शन से जुड़ने का मौका मिला जिसके जरिये उन्हें ये कर पाने का मौका मिला।
दीदी द्वारा मदद किये परिवारों पर एक नज़र
Date |
Ration kits |
Organization |
Area |
10 Apr |
15 |
Goonj |
Kirari |
12 Apr |
50 |
Paigaam |
Kirari |
14 Apr |
16 |
DCPCR |
Jahangirpuri |
14 Apr |
38 |
DCPCR |
Kirari |
15 Apr |
10 |
Aaina |
Govindpuri |
15 Apr |
110 |
Aaina |
Kirari |
21 Apr |
100 |
Hunger Helpline |
Kirari |
25 Apr |
90 |
Hunger Helpline |
Kirari |
29 Apr |
100 |
Aaina |
Kirari/Kamruddin Nagar |
06 May |
16 |
DCPCR |
Paharganj |
06 May |
8 |
DCPCR |
Vikas Nagar |
06 May |
8 |
DCPCR |
Uttan Nagar |
07 May |
50 |
Paigaam |
Kirari/ Rohini |
07 May |
91 |
DCPCR |
Jhanagirpuri |
08 May |
11 |
DCPCR |
Gautampuri |
15 May |
97 |
DCPCR |
Kirari/ Sultanpuri |
15 May |
26 |
Rescue Foundation |
Mangolpuri |
Great effort by Minu didi.
Well written by Anvita .
more power to Meenu Didi 🙂
Very good meenu ji thodi help to apne humari bhi ki Thankyu meenu ji
जहां तक मुझे याद है 2018 में मीनू दीदी ने मेरी भी आंगनवाड़ी के बच्चे की दाखिले हेतु बहुत सहायता की थी!
जिसके परिणाम स्वरूप उस बच्ची को मुफ्त में शिक्षा यूनिफॉर्म और किताबें मिल पा रही हैं!
बहुत-बहुत शुक्रिया मीनू दीदी !
Thank you INDUS ACTION TEAM